Saturday, November 5, 2011

1 comment:

  1. हव्वा हंसी,आदम ने कहा-एक तुझी से बस,तुझी से प्यार करता हूँ,
    जब वो सजी-संवरी तो आदम लुट गया उस पे,
    हव्वा ने जो झटके गेसू,आदम बेचारा फंस गया,
    उस की हरेक अदा पे वो सौ जान-ओ-दिल से लुट गया.
    उफ़ तेरे रुखसार,ये शोला बदन की बिजलियाँ,
    लुट गया मैं तो खुदारा,तेरे सदके लुट गया.
    फिर एक दिन ऐसा हुआ,हव्वा की आँखे नम हुई,
    बुझ गया दिलकश तबस्सुम,लब की सुर्खी कम हुई.
    उसने कहा-सुन जान तू मुझको सहारा आज दे.
    मेरे अश्क में तू शरीक हो,मेरी बेदिली का साथ दे.
    जो नहीं में आज नाज़नीं,तू दिलरुबा बन जा मेरा.
    मैं आज हूँ आदम तेरा तू हव्वा बन के साथ दे.
    आदम ने देखा खौफ से-क्या कुफ्र तोलती है तू,
    तुझे याद है के मैं कौन हूँ हूँ,न तू भूल ये के तू कौन है.
    मैं हू मजाज़ी खुदा तेरा,तू है रहीन फक़त मेरे.
    फिर क्या हुआ ये किसे पता.
    लब सी लिए हव्वा ने फिर,आदम को नहीं कोई वास्ता..

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