Sunday, December 11, 2011

मित्रो,सुना है फेसबुक को भी सेंसर करने पर विचार किया जा रहा है. इसका परिणाम...?
एक कहानी सुनिए-
एक शहर के किनारे एक दुकान थी और उस दुकान के बाहर टंगे एक पिंजरे में बड़ा सा हरियल सुग्गा बैठा सड़क के नज़ारे लेता रहता था. बड़े शहर के बहती सड़क से ढेरों लोग गुजरते थे.कुछ नियमित, कुछ अनियमित.
एक दिन शाम उस सड़क से एक स्त्री गुजरी.दिखने में तो ठीकठाक ही थी पर मिट्ठू मिया को नहीं जची तो नहीं जची.उसने नाक-भों सिकोड़ के देखा और जोर से सीटी मारी....
"मोहतरमा, क्या आप जानती है कि आप बहुत ही बदसूरत है?"जैसे ही स्त्री ने उसकी और देखा तोते जी जोर से चिल्लाये. बेचारी औरत उसे बहुत बुरा लगा,पर 'जानवर के क्या मुंह लगना' सोच के चुपचाप आगे बढ़ गई.
पर दूसरे दिन एन उसी समय वही मोहतरमा वहाँ से गुजरी और तोते जी के मुहँ का जायका फिर बिगड गया.उन्होंने वही जुमला फिर से उछाल दिया.बेचारी भली औरत खून के घूँट पी के आगे बढ़ गई.
अब तो रोज शाम का यही सिलसिला चल पड़ा.औरत गुजरे और तोते जी उनकी बेईज्ज़ती खराब कर दें.लेकिन हर चीज की तरह सब्र का भी अंत होता है औरत का भी हो गया.एक रोज वो तमतमाती हुई दुकानदार के पास पहुंची और तोते के साथ उन्हें भी खूब गरियाया-धमकाया. अब इस नए जमाने
के नए कानून..महिला उत्पीडन नामी कानून से सभी डरते हैं दुकानदार भी डर गया.उसने स्त्री के आगे विनम्रता से हाथ जोडे, तोते की बदतमीजी के लिए माफ़ी मांगी और तोते जी की जम के धुलाई की और धमकाया -
"बदजुबान,आगे से कभी मैडम जी की शान में गुस्ताखी की तो तेरी टाँगे तोड़ के दांतों की जगह रख दूंगा."
अगले रोज...वही समय,वही मैडम जी उस दुकान के आगे से गुजरी.कुछ आदतन और कुछ इरादतन मैडम जी ने दुकान की और देखा. बिचारे तोते जी टूटे-फूटे से अपने पिंजरे में पड़े कराह रहे थे.मैडम को बहुत मज़ा आया
"अब बोलो कैसी लगती हूँ मैं." भोंह नचा,नैन मटका के मैडम ने मज़े लिए.
"आप जानती है." तोता उवाच.
जय हो....

1 comment:

  1. wah ...........
    kya bat hai ..........
    bahut badiya ...........

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