बादल,बरखा,सावन,पानी,इक दिल राजा इक दिल रानी
सुने सुनाये प्रेम कहानी,
तुझ बिन इश्क मेरा नाकारा बिन मेरे क्या तेरी जवानी,
मैं हूँ इश्क हकीकी तेरा,तू है इश्क मेरा रूहानी,
तू गंगाजल मुझ दरिया में,मैं तेरे दरिया में फानी,
लेकिन कभी-कभी मेरे घर एक नया किस्सा होता है,कभी नहीं अक्सर होता है...
घर के टीन कनस्तर सारे, लड़ते मुझसे मेरे ही घर,बेढब सुर में कर्कस बानी,
अरे अभागे,सुन बे निकम्मे,मर गया क्या आँखों का पानी?
तुझे नहीं दिखते है क्या ये सूना चौका,खाली बर्तन,सूने नल का सुखा पानी?
देख जरा नादीदे पल भर,तुझे कभी नहीं दिखती क्या ये
फटी गूदडी,टूटी हांड़ी,ठंडा चूल्हा,कौड़ी कानी
हम सब से भी प्रेम कभी कर.
हम भी तेरे घर रहते है,तू तो नहीं पर हम सहते है.
बहुत सुन लिए तेरे नगमे, तेरी हीरें,तेरे ढोले,अगडम बगडम प्रेम कहानी,
बाहर निकल, हो दफा यहाँ से,संग ले अपने राजा-रानी.
Monday, September 26, 2011
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