Friday, July 9, 2010

फ़ुटबाल के इस महाकुम्भ ने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है,ये नई बात नहीं है,हर ४ वर्ष में ये होता है वही जुनून,वही जश्न,वही आँसू हर बार देखने ko milatee hai है। इस बार नया क्या? कुछ नहीं बस १ऑक्टोपस ज्योतिष राज हैं।जिस ढक्कन को खोल दें उसकी तकदीर का ढक्कन खुल जाता है.क्या बात है।हम भारतीय तो ही नायक पूजा में पारंगत , हमारा भविष्य कोई बतादे आहा ,और क्या चाहिए hamen ,हम तो हैं ही सपेरों ,भिखारियों और जादू-टोने वाले पिछड़े भारतवंशी।चलो छोडो जी, हम जैसे हैं ठीक हैं लेकिन उन अगड़ों को क्या हुआ ?ये हमारी डगर पे चल के अंध विश्वाशी केसे हो रहे हैं? चलो जाने भी दो यारो, हमें इस से भी क्या?खुद पे बनती है तो सब करना पड़ता है ,मेरी तो एक ही अरदास है ,दो घंटे के लिए वो आक्टोपस मुझे दे दे .एकदम अभी नहीं, वर्ल्ड कप का फाइनल हो ले उसके बाद वापिस ले लें दरअसल कुछ यक्ष प्रश्न हे जो हमारे रामदेव श्याम देव नहीं सुलझा पा रहे, शायद पॉल देव सुलझा सकें।

हाँ तो पाल देव जी, मेरा प्रश्न-

१ वैश्विक गरीबी से अपन को क्या ?भारत की भी चलती रहेगी,मेरी गरीबी कब दूर होगी ?

२ अमेरीका की दादागिरी तो कब से चल रही है, अब ब्रह्मपुत्र को अपनी और मोड़ के चीन ने भी भारत के विरूद्ध पर्यावरण युद्ध का एलान कर दिया कल से दादागिरी भी करेगा, कर लेने दो, जो करेगा सो भरेगा, पाल बाबा आप ये बताओ मेरी बहू के विरूद्ध मेरी दादागिरी कब चलेगी ?

३ सद्दाम हुसैन को तो उसके घृणित कृत्य के लिए खुलेआम फांसी दे दी .चीन का कमुनिस्ट फासीवादी रवैया कब ख़त्म होगा
४ सारी दुनिया में आणविक हथियार धड़ल्ले से बनते हैं ,बेचारा पाकिस्तान तो अमरीका के भरोसे काम चला रहा है, ठीक भी है पञ्चशील क़ी ठठरी कोई कब तक लादे घूम सकता है। अपनी जान सबको प्यारी हे ,जब सारी दुनिया में येही हो रहा है तो हमारे छोटे लल्ला को तमंचा बनाने क़ी इजाज़त काहे नहीं मिलती?पाल बाबा उपाय हो तो बताय देवो ।

५।वैश्विक मंदी कब ख़त्म होगी और राजनीति का भ्रष्ट व्यवसाय मंदी में कब आयेगा?

६ हम जानते हैं भारत से जाति वाद नेता लोग अपने स्वार्थ की खातिर नहीं हटाने देते हैं पर दुनिया से नस्ल वाद कब मिटेगा ये तो बतादो।

७।ये बात कोई ज्यादा मतलब क़ी तो नहीं है फिर भी चाहो तो बता दो - हिंदी के साहित्यकार एक दूसरे क़ी टांग खिंचाई कब बंद करेंगे?

जय बाबा पालदेव क़ी ,जैसी स्पेन क़ी सुनी सबकी सुनना

9 comments:

  1. लक्ष्मीजी
    ब्लॉग संसार में स्वागत है …
    बाबा पालदेव ने आपकी सुनी या नहीं ?
    रोचक आलेख लिखने के लिए बधाई !

    शस्वरं पर भी आपका स्वागत है , आइए…

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  2. तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
    =0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=

    सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

    (सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
    राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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  3. excellent satire, paul baab, your problems and analysis

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. बहुत सुन्दर रचना है...तीखे व्यंग हैं क्योंकि सत्य है| पर साहित्यकारों की टांग खिचाई के प्रसंग से मुझे भिन्नता है...यह एक बढ़िया तरीका है एक-दूसरे को समझने का...एक दृष्टिकोण यह भी है कि भाई-भाई में तू-तू मैं-मैं हो ले वही बढिया है...बाहरवालों की बयानबाजी से तो बचेंगे :)

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  6. स्वागत है..पॉल बाबा तो अब जिस पर मेहरबान हो जायें, उसकी चल निकले. :)

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  7. अच्छे और सटीक प्रश्न

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  8. आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया दोस्तो,आपने मेरे चिट्ठों को सराहा,मैं आभारी हूँ

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